- राज कुमार सिन्हा* भारत की लगभग 71.22 प्रतिशत बिजली कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्रों से उत्पन्न होती है। देश में 180 ताप विद्युत संयंत्रों की कुल उत्पादन क्षमता 212 गीगावाट (1 गीगावाट=1000 मेगावाट) है जिसे 2030 तक बढ़ाकर 260 गीगावाट किया जाना है। ग्राउंड रिपोर्टर शिशिर अग्रवाल के अनुसार अप्रेल 2023 से 2024 तक बिजली उत्पादन के लिए 29,18,265 मिलियन टन कोयले का उपयोग किया गया है।इस दौरान 11,67,308 टन फ्लाई ऐश और बाॅटम ऐश का उत्पादन हुआ। इसमें से 5,78,388 मिलियन टन राख का इस्तेमाल किया जा चुका है। वहीं 8,35,086 मिलियन टन राख को निचले इलाकों में डंप किया जा चुका है। नियमों के मुताबिक फ्लाई ऐश का उपयोग चार तरीकों से होता है,राजमार्ग निर्माण, सीमेंट उत्पादन,ईंट निर्माण और बंजर भूमि का सुधार। माना जाता है कि राख में मौजूद सोडियम, पोटेशियम और जिंक जैसे तत्व फसलों की उत्पादकता बढ़ा सकते हैं। इसलिए इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। मध्य प्रदेश में सरकारी और निजी क्षेत्र के 15 थर्मल पावर प्लांट है।जिसका बिजली उत्पादन क्षमता 22,730 मेगावाट है।इन सभी थर्मल पॉवर प्लांट से सलाना 2 करोड़ 85 ...