5000 नरेगा मज़दूरों ने मोदी को पत्र लिखा,एक-एक रुपया भेजा, मांग की: पश्चिम बंगाल में नरेगा का काम फिर शुरू किया जाये
एकता के शक्तिशाली प्रदर्शन में, देश भर के 4700 से अधिक नरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005) मज़दूरों ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर पश्चिम बंगाल में नरेगा कार्य को तत्काल फिर से शुरू करने का आग्रह किया है। जब से केंद्र सरकार ने दिसंबर 2021 में पश्चिम बंगाल के नरेगा फंड को फ्रीज किया है, तब से यहां ना कोई नरेगा काम हुआ है और ना ही मज़दूरों की अर्जित मजदूरी का भुगतान किया गया है।
नरेगा संघर्ष मोर्चा द्वारा आयोजित एक पोस्टकार्ड अभियान में, देश भर के नरेगा मज़दूरों ने न केवल प्रधान मंत्री को पत्र लिखे, बल्कि पश्चिम बंगाल के नरेगा बजट के लिए एक-एक रुपया भी दान किया। सीधे पीएम मोदी को संबोधित पोस्टकार्ड में एक स्पष्ट संदेश है: “यदि केंद्र सरकार पश्चिम बंगाल के लिए नरेगा बजट जारी नहीं कर सकती है, तो हम, भारत के मज़दूर, स्वयं धन जुटाएंगे। हम मांग करते हैं कि पश्चिम बंगाल में नरेगा का काम तुरंत फिर से शुरू किया जाए।”
5 अगस्त 2024 को विभिन्न मज़दूर संगठनों के प्रतिनिधि ग्रामीण विकास सचिव शैलेश कुमार से मिले और पश्चिम बंगाल में तुरंत धनराशि जारी करने और नरेगा कार्य को फिर से शुरू करने पर जोर दिया। उन्होंने इस बात पर गहरी चिंता व्यक्त की कि फंड-फ्रीज होने के ढाई साल से अधिक समय बीत जाने के बावजूद, कथित अनियमितताओं की कोई विश्वसनीय जांच नहीं हुई है और न ही किसी को जिम्मेदार ठहराया गया है।
इसके अलावा, मज़दूरों के प्रतिनिधिमंडल ने प्रमुख राजनीतिक हस्तियों से मुलाकात की है, जिनमें सांसद अमरा राम, डॉ. वी. शिवदासन, राजू बिस्टा, एडवोकेट बिकाश भट्टाचार्य, मनीष तमांग, शशिकांत सेंथिल और प्रकाश चिक बराइक शामिल हैं, और उनसे संसद में इस मुद्दे को तत्काल उठाने का आग्रह किया है। पश्चिम बंगाल में रहने वाले करोड़ों मज़दूरों और उनके परिवारों पर प्रभाव विनाशकारी रहा है - मजबूरन पलायन, व्यापक भूख और कुपोषण, आत्महत्याओं में वृद्धि और गरीब परिवारों को और गरीबी में धकेला जा रहा है।
जिक्र करना जरूरी है कि केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री से मिलने के लिए लगातार प्रयास करने के बावजूद भी मज़दूरों के प्रतिनिधि अभी तक उनसे मिलने में सफल नहीं हो पाए हैं। इस तरह सरकार से कोई प्रतिक्रिया न मिलने से मज़दूरों की हताशा और बढ़ गई है, जो प्रशासनिक अनियमितताओं और सरकारी निष्क्रियता के बीच फंसे हुए हैं।
स्थिति की गंभीरता को समझते हुए, पश्चिम बंगा खेत मजदूर समिति द्वारा दायर याचिका (W.P.A. (P) 237 of 2023) के जवाब में, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने अप्रैल 2024 में पश्चिम बंगाल में पहले किए गए नरेगा कार्यों की प्रामाणिकता को सत्यापित करने के लिए चार सदस्यीय समिति का गठन किया। हालांकि पिछले कार्य का सत्यापन महत्वपूर्ण है, ऐसी प्रक्रियाएं उन लाखों मजदुरों की कीमत पर नहीं आनी चाहिए जिन्हें उनके काम करने के अधिकार से अनुचित रूप से वंचित किया जा रहा है। क्योंकि चल रहे निलंबन से तो लाखों निर्दोष मज़दूरों को बेवजह सज़ा दी जा रही है!
सितंबर 2024 में पश्चिम बंगाल में नरेगा काम के लिए 3500 से अधिक आवेदन आए हैं, जिससे नरेगा कार्य पुनः शुरू करने की आवश्यकता स्पष्ट नज़र आती है। परन्तु केंद्र सरकार द्वारा धन जारी करने से इनकार करने के कारण, इन मांगों को राज्य सरकार की रोजगार योजना, 'कर्मश्री' के माध्यम से पूरा किया जा रहा है। और तो और, 24 सितंबर 2024 को पश्चिम बंग खेत मजदूर समिति के नेतृत्व में लगभग 100 नरेगा मज़दूर कोलकाता में भाजपा के राज्य मुख्यालय पर ‘घेराबंदी’ कार्यक्रम के लिए एकत्र हुए। हालांकि मज़दूरों से मिलने के लिए पार्टी का कोई पदाधिकारी मौजूद नहीं था, पार्टी कार्यालय ने उन्हें आश्वासन दिया कि 26 सितंबर को होने वाली भाजपा राज्य समिति की बैठक में मज़दूरों के मुद्दों को अवश्य उठाया जाएगा।
कोलकाता का प्रदर्शन देश भर में हो रही व्यापक कार्रवाइयों का हिस्सा है। रविवार, 28 सितंबर, 2024 को झारखंड, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, बिहार और ओडिशा के सैकड़ों नरेगा मज़दूर रांची में सामूहिक विरोध प्रदर्शन करने के लिए इकठ्ठा हो रहे हैं। मज़दूर सुबह 11 बजे रांची के राजभवन के समक्ष मजदूर एकत्रित होंगे और मांग करेंगे कि मोदी सरकार अपनी मजदूर-विरोधी व गरीब-विरोधी नीतियों को वापस ले और मनरेगा को सही तरह से लागू करे।
Comments
Post a Comment
NOTE: While there is no bar on viewpoint, comments containing hateful or abusive language will not be published and will be marked spam. -- Editor