आईआईएमए में ब्रिज दिसा डेटा विज्ञान एवं कृत्रिम बुद्धिमत्ता केंद्र (सीडीएसए) ने वाधवानी फाउंडेशन के साथ मिलकर आज भारतीय वाइट-कॉलर कर्मचारियों पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के कथित और अपेक्षित प्रभाव पर एक रिपोर्ट जारी की। इस कार्यक्रम में आईआईएमए के निदेशक प्रोफेसर भारत भास्कर; वाधवानी सरकारी डिजिटल परिवर्तन केंद्र के सीईओ श्री प्रकाश कुमार; प्रोफेसर श्रीराम शंकरनारायणन, सह-अध्यक्ष (सीडीएसए) और रिपोर्ट के लेखकगण उपस्थित थे।
“एआई के बारे में श्रम-बल की धारणा - भारतीय वाइट-कॉलर कर्मचारियों पर एक अध्ययन” शीर्षक वाली रिपोर्ट में पाया गया है कि एआई का प्रभाव अब भविष्य की बात नहीं, बल्कि इसकी शुरुआत ही हो चुकी है। इस रिपोर्ट के कुछ प्रमुख निष्कर्ष इस प्रकार हैं:
सर्वेक्षण में शामिल 55% कर्मचारियों ने बताया कि उन्होंने अपने कार्यस्थलों पर एआई उपकरणों का इस्तेमाल किया है। इसके अलावा, सर्वेक्षण में भाग लेने वाले 48% लोगों ने बताया कि उनके संगठनों ने उन्हें इन उपकरणों का इस्तेमाल करने के लिए प्रशिक्षण दिया है।
दक्षता और उत्पादकता में सुधार के लिए एआई के लाभों का भी अनुभव किया जा रहा है। 72% उत्तरदाताओं ने स्वीकार किया कि एआई उनके कार्य प्रदर्शन को बढ़ाता है, और 59% का मानना है कि एआई उनके नौकरी के कार्यों के लिए पूरक के रूप में काम करता है।
वाइट-कॉलर कर्मचारियों के लिए नौकरी के परिदृश्य में कितना व्यवधान अपेक्षित है? 68% कर्मचारियों को उम्मीद है कि अगले पाँच वर्षों में एआई आंशिक रूप से या पूरी तरह से उनकी नौकरियों को स्वचालित कर देगा। इसके अलावा, 40% चिंतित हैं कि उनके वर्तमान कौशल बेकार हो सकते हैं। हालाँकि, परिदृश्य इतना भी निराशाजनक नहीं है। 53% उत्तरदाता सोचते हैं कि एआई नई नौकरियाँ पैदा करेगा।
धारणा सर्वेक्षण से कुछ संरचनात्मक कमज़ोरियों का पता चलता है, जिन पर ध्यान देने की ज़रूरत है। वर्तमान स्नातक/स्नातकोत्तर सेटअप एआई युग के लिए इष्टतम नहीं है। हाल ही में स्नातक हुए लोगों और रोजगार इच्छुक कर्मचारियों (पांच वर्ष से कम अनुभव वाले) के बीच एआई उपकरण और एआई प्रशिक्षण के बारे में जागरूकता और अपनाए जाने की दर कम है। यह उनकी वर्तमान शिक्षा और प्रशिक्षण में अंतर का संकेत दे सकता है, जिसे संगठन प्रशिक्षण और कौशल उन्नयन कार्यक्रमों के माध्यम से पूरा कर सकते हैं।
इसके अलावा, एआई को अपनाना और इसके बारे में जागरूकता सभी उद्योगों में असमान है, कम से कम सर्वेक्षण के नमूने के अनुसार देखा जाए तो। शिक्षा, आईटी, विनिर्माण और स्वास्थ्य सेवा सक्रिय रूप से कर्मचारियों को एआई के बारे में प्रशिक्षित और अवगत करा रहे हैं। खुदरा और व्यापार, और बुनियादी ढाँचा इस पहलू में पिछड़े हुए हैं। लोक प्रशासन को अच्छी जानकारी है और वह अपने कर्मचारियों को कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) से परिचित कराता है। इस अध्ययन में एक आश्चर्यजनक खोज यह है कि वित्त और बीमा उद्योग अपने कर्मचारियों को एआई के बारे में प्रशिक्षित करने और उन्हें अवगत कराने में शीर्ष उद्योगों में शामिल नहीं है - लेकिन धारणा में यह कमी इन उद्योगों से अधिक अपेक्षाओं के कारण हो सकती है।
इस रिपोर्ट लॉन्च के दौरान बोलते हुए, आईआईएमए के निदेशक, प्रोफेसर भारत भास्कर ने कहा, “हमें इस तथ्य का स्वीकार करना चाहिए कि एआई, एमएल, एआर-वीआर और अन्य अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियाँ मात्र विज्ञान कथा के तत्वों से परिवर्तित होकर हमारी वर्तमान वास्तविकता का अभिन्न अंग बन गई हैं। एआई युग हमारे सामने है, और इसका प्रभाव कार्यबल और विभिन्न उद्योगों में काफी बढ़ रहा है। व्यवसाय और कर्मचारी एआई प्रौद्योगिकियों के माध्यम से बढ़ी हुई दक्षता और नवाचार की क्षमता को महसूस कर रहे हैं, जबकि उद्योग जगत ग्राहक सेवा से लेकर उत्पाद विकास तक हर चीज़ पर एआई के परिवर्तनकारी प्रभाव को समझने लगा है। यह रिपोर्ट बहुत उचित समय पर आई है क्योंकि यह कर्मचारियों और व्यवसायों द्वारा दीर्घकालिक सफलता के लिए एआई के बारे में बढ़ती जागरूकता और उसे अपनाए जाने के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करती है।”
इस रिपोर्ट के बारे में अधिक जानकारी साझा करते हुए, आईआईएमए के अर्थशास्त्र विषय-क्षेत्र में संकाय सदस्य और इस अध्ययन के प्रमुख प्रधान अन्वेषक प्रोफेसर अनिंद्य चक्रवर्ती ने कहा, “भारत के लिए एआई एक रणनीतिक अनिवार्यता है, जो इसकी आर्थिक प्रतिस्पर्धा को बनाए रखने और बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है। रोजगार पर एआई के नकारात्मक प्रभावों के बारे में वैश्विक चिंताओं को देखते हुए, भारतीय कॉर्पोरेट क्षेत्र और नीति निर्माताओं को यह समझना चाहिए कि एआई किस तरह रोजगार को बनाए रख सकता है और उसका पूरक बन सकता है, न कि उसका स्थान ले सकता है। एक मजबूत प्रतिभा समूह, एक जीवंत स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र और डेटा-समृद्ध वातावरण के साथ, भारत एआई उन्नति का लाभ उठाने के लिए अच्छी स्थिति में है। इस अध्ययन से पता चलता है कि वाइट-कॉलर कार्यबल एआई-उपकरणों को अपना रहा है, और यह एक अच्छी बात है। व्यापार जगत के अग्रणियों और नीति निर्माताओं को भारत की एआई उन्नति की खोज में अपनाए जाने की उच्च दर को एक महत्वपूर्ण क्षण के रूप में पहचानना चाहिए। यह रिपोर्ट शिक्षाविदों, उद्योग और सरकार के बीच मजबूत सहयोग बनाने और उत्पादकता वृद्धि और आर्थिक लाभ की एकाग्रता के बीच एक संतुलित मार्ग बनाए रखने के लिए विविध प्रयासों का नेतृत्व करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एआई-केंद्रित समन्वय की आवश्यकता पर जोर देती है।”
यह शोध रिपोर्ट भारत के वाइट-कॉलर कार्यबल पर एआई के प्रभाव को समझने के शुरुआती प्रयासों में से एक है, जो नीति निर्माताओं, व्यापार जगत के अग्रणियों और शैक्षणिक समुदाय को सूचित नीति-निर्माण, रणनीतिक योजना और प्रभावी कार्यबल विकास पहलों के लिए मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करती है। इसके निष्कर्ष 31 व्यावसायिक अधिकारियों के साथ विस्तृत साक्षात्कार, 550 से अधिक वाइट-कॉलर कर्मचारियों के क्षेत्र सर्वेक्षण और सार्वजनिक डेटा स्रोतों से भारत में 70,000 से अधिक नौकरी रिक्तियों के विश्लेषण पर आधारित हैं।
इस रिपोर्ट के सह-लेखक प्रोफेसर अनिंद्य चक्रवर्ती-अर्थशास्त्र, आईआईएमए; प्रोफेसर अंकुर सिन्हा -संचालन और निर्णय विज्ञान और सह-अध्यक्ष (सीडीएसए), आईआईएमए; प्रोफेसर आदित्य सी. मोसेस-मानव संसाधन प्रबंधन, आईआईएमए; श्री दीप नारायण मुखर्जी-पार्टनर, बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप(बीसीजी); श्री देबजीत घटक -पूर्व केंद्र प्रमुख, ब्रिज डिसा सीडीएसए, आईआईएमए; और अमिता तोडकर-अनुसंधान सहयोगी, ब्रिज दिसा सीडीएसए, आईआईएमए हैं; तथा रिपोर्ट के लिए शोध भागीदार वाधवानी फाउंडेशन है।
---
रिपोर्ट देखने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें
Comments