सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

सदन की सबसे उंची गद्दी पर बैठे यह शख्स मर्यादाओं को अनदेखा कर मुंह फेरता रहा

- मनीष सिंह*  
ओम बिड़ला को जब याद किया जाएगा, तो लोगों के जेहन मे भावहीन सूरत उभरेगी। सदन के सबसे उंची गद्दी पर बैठा शख्स, जो संसदीय मर्यादाओं को तार तार होते सदन मे अनजान बनकर  मुंह फेरता रहा। 
मावलंकर, आयंगर, सोमनाथ चटर्जी और रवि राय ने जिस कुर्सी की शोभा बढाई, उसे उंचा मयार दिया.. वहीं ओम बिड़ला इस सदन की गरिमा की रक्षा मे अक्षम स्पीकर के रूप मे याद किये जाऐंगे। 
●●●
पांच साल तक, ओम बिड़ला के दौर मे संसद रबर स्टाम्प बनी रही। 
सदन बहस करने से बचने का अड्डा हुआ... 
सत्ता पक्ष कुछ भी कहे, अभय.. 
और विपक्ष को मुश्किल से दिये मोैको मे भी मूक बना देने वाले अध्यक्ष ओम बिड़ला थे। 
कही सामान्य कानून मनी बिल बनकर पास होते रहे तो कभी सांसदों को सस्पेंड़ कर विपक्षहीन कार्यवाही चलती रही। जिसकी सदारत मे सदन के भीतर मे बैठ जा मुल्ले गूंजा, और अध्यक्ष ने आंखें फेर ली।   
●●●
सदन जितना आंखों के सामने चलता है, उससे ज्यादा परदे के पीछे। कौन से सवाल लिए जाऐंगे, कौन से रिजैक्ट होे। 
कौन सा सांसद बोलेगा, किसे मौका नही देंगे। किसके घंटे भर की सस्ती जोकरपंथी, संसद के इतिहास मे लिखी जाएगी, और किसके पांच मिनट के भाषण को कार्यवाही से मिटा दिया जाएगा। 
और संसद का टीवी किसके उपर कैमरा ताने रखेगा, और कब वक्ता के पूरे दस मिनट के भाषण मे  संसद के झूमर पर टिका रहेगा?? 
सब तय करने का अधिकार ओम बिड़ला को था। 
और वे, जो सदन के अभिभावक बनाऐ गए थे, दलो के दलदल से उपर, न्यायाधीश की कुरसी से नवाजे गए थे, उस पद की गरिमा से पतनशील हो, 
मामूली पिटठू बनकर रह गए। 
●●●
सबसे ज्यादा शर्मनाक, और खतरनाक काम था - विपक्ष को बाहर कर, खाली सदन से नई न्याय संहिता पर मुहर लगवाना। 
150 साल पुराने, ट्राइड, टेस्टेड और इवॉल्यूशन की नैचुरल प्रक्रिया से बनी भारत की संपूर्ण न्याय प्रणाली को आमूलचूल बदलने वाला बिल, मिनटों मे पास हो गया। 
बिना बहस, यह अधूरा, ड्रेकोनियन, दमनकारी, अंग्रेजों के कानून से कठोर और एन्टी डेमोक्रेसी प्रावधानो वाली भारतीय न्याय संहिता, राष्ट्रपति से दस्तखत हो चुकी है। किसी भी दिन नोटिफाई होकर लागू होगी। 
और उसके बाद गले से आवाज भी निकालना, छह माह की बिना ट्रायल जेल का सबब बनेगा। आम कानून को पीएमएलए बना दिया गया है। प्रावधानों को ऐसा महीन बुना गया है  कि जब जहां मर्जी हो, एक थानेदार आपका जीवन नष्ट कर देगा। दूसरी ओर आपके न्याय की गुहार, सुनवाई अयोग्य मानकर ठुकरा देगा। 
यह न्याय संहिता, प्राकृतिक न्याय और सुनवाई के अधिकारों से चतुराई भरा महीन खेल करती है। इस कानून के लागू होने के बाद भारत जानेगा, कि असली मजबूत सरकार, असली पुलिस राज और सराकरी आतंक क्या होता है। 
और जब कोई हिंदुस्तानी इसमे फंसेेगा, तो इस पार्टी का समर्थक रहा हो या विरोधी - वह मोदी-2 और ओम बिड़ला को दिल की अनंत गहराइयों से..
सदियों तक शाप देगा। 
●●●
सुनते है कि स्पीकर पद की मांग, तेलगूदेशम ने की है। यह शुभ संकेत है। एक हंग पार्लियामेण्ट मे विपक्ष की आवाज, संसदीय मर्यादाऐं का हनन.... 
दलो केे भीतर तोड़फोड, सांसद खरीदी और नीच तकनीकों के इस्तेमाल होने की छूट देने के लिए, किसी ओम बिड़ला जैसे भाजपाई को संसद की आसंदी नही मिलनी चाहिए। 
जीएमसी बालयोगी जैसे हरदिल अजीज, संतुलित लोकसभाध्यक्ष देने वाले तेलूदेशम और नायडू पर मोदी गैंग के भाजपाईयों से ज्यादा भरोसा किया जा सकता है। 
खुद तेलगू देशम, जेडीयू और दूसरे दलो की तोड़फोड़ की तमाम गुंजाइश खत्म हो जाएगी, अगर सदन की बागडोर एक संतुलित मष्तिष्क वाले क्षेत्रीय दल के हाथ मे हो। 
●●●
नई संसद के सांसद, वे पक्ष के हो या विपक्ष के, याद रखे - बंदर के हाथ माचिस नही होनी चाहिए। 
और संसद की चाभी किसी बिडला के हाथ नही होनी चाहिए। आसंदी पर हमारी और उनकी भलाई इसी मे होगी। 
देश को और ओम बिड़ला नही चाहिए।    
लोकसभा के माथे पर, और काले दाग नहीं चाहिए।
---
*स्रोत: फेसबुक

टिप्पणियाँ

ट्रेंडिंग

એક કોંગ્રેસી ખાદીધારીએ આદિવાસીઓના હિત માટે કામ કરતી સંસ્થા ‘ગુજરાત ખેત વિકાસ પરિષદ’ની પીઠમાં છરો ભોંક્યો

- રમેશ સવાણી  ગુજરાત કોંગ્રેસના નેતાઓ/ ગાંધીવાદીઓ/ સર્વોદયવાદીઓ ભલે ખાદી પહેરે, પરંતુ તેમના રુંવાડે રુંવાડે ગોડસેનો વાસ છે ! બહુ મોટો આંચકો આપે તેવા સમાચાર મળ્યા, વધુ એક ગાંધીવાદી સંસ્થા/ વંચિતવર્ગ માટે કામ કરતી સંસ્થાની હત્યા થઈ!  ‘ખેત ભવન’માં હું ઝીણાભાઈ દરજીને મળ્યો હતો. એમણે વંચિતવર્ગની સેવા માટે જીવન સમર્પિત કરી દીધું હતું. ઈન્દુકુમાર જાની સાથે  અહીં બેસીને, અનેક વખત લાંબી ચર્ચાઓ કરી હતી અને તેમણે આ સંસ્થાની લાઈબ્રેરીમાંથી અનેક પુસ્તકો મને વાંચવા આપ્યા હતા, જેનાથી હું વૈચારિક રીતે ઘડાયો છું. આ સંસ્થા વંચિત વર્ગના બાળકો માટે ગુજરાતમાં 18 સંસ્થાઓ ચલાવે છે; ત્યાં ભણતા બાળકોનું મોટું અહિત થયું છે. એક મોટી યુનિવર્સિટી જે કામ ન કરી શકે તે આ સંસ્થાએ કર્યું છે, અનેકને ઘડ્યા છે, કેળવ્યા છે, અનેક વિદ્યાર્થીઓને પ્રગતિ તરફ દોરી ગઈ છે. આ સંસ્થામાં એવા કેટલાંય સામાજિક/ આર્થિક લડતના દસ્તાવેજો/ પુસ્તકો છે, જેનો નાશ થઈ જશે. અહીંથી જ વંચિતલક્ષી વિકાસ પ્રવૃતિ/ વૈજ્ઞાનિક અભિગમ/ શોષણવિહીન સમાજ રચના માટે પ્રતિબદ્ધ પાક્ષિક ‘નયામાર્ગ’  પ્રસિદ્ધ થતું હતું, જેથી ગુજરાતને વૈચારિક/ પ્રગતિશિલ સાહિ

रचनाकार चाहे जैसा हो, अस्वस्थ होने पर उसकी चेतना व्यापक पीड़ा का दर्पण बन जाती है

- अजय तिवारी  टी एस इलियट कहते थे कि वे बुखार में कविता लिखते हैं। उनकी अनेक प्रसिद्ध कविताएँ बुखार की उतपत्ति हैं। कुछ नाराज़ किस्म के बुद्धिजीवी इसका अर्थ करते हैं कि बीमारी में रची गयी ये कविताएँ बीमार मन का परिचय देती हैं।  मेँ कोई इलियट का प्रशंसक नहीं हूँ। सभी वामपंथी विचार वालों की तरह इलियट की यथेष्ट आलोचना करता हूँ। लेकिन उनकी यह बात सोचने वाली है कि बुखार में उनकी रचनात्मक वृत्तियॉं एक विशेष रूप में सक्रिय होती हैं जो सृजन के लिए अनुकूल है। 

आदिवासी की पुलिस हिरासत में हत्या के लिए ज़िम्मेवार पुलिस कर्मियों को गिरफ्तार करो

- शिवराम कनासे, अंतराम अवासे, माधुरी*  --- पुलिस हिरासत में आदिवासी की मौत: धर्मेंद्र दांगोड़े का परिवार खंडवा एसपी कार्यालय पहुंचा, दोषी पुलिस कर्मियों के गिरफ्तारी की उठाई मांग – आदिवासी संगठनों ने कार्यवाही न होने पर पूरे निमाड में आदिवासी आंदोलन की दी चेतावनी... --- पुलिस हिरासत में आदिवासी की मौत का खंडवा-खरगोन में तीन साल में यह तीसरा मामला – इससे पहले भी पुलिस कर्मियों को दोषी पाए जाने के बावजूद मध्य प्रदेश सरकार द्वारा कोई कार्यवाही नहीं हुई है – मध्य प्रदेश बन चुका है आदिवासियों पर अत्याचार का गढ़... *** धर्मेंद्र दांगोड़े की खंडवा के थाना पंधाना में हुई हत्या के संबंध में, 29.08.2024 को धर्मेंद्र के परिवार सहित आदिवासी संगठन खंडवा एसपी कार्यालय पहुंचे और धर्मेंद्र दांगोड़े की हत्या के लिए जिम्मेदार पुलिस कर्मियों की गिरफ्तारी की मांग उठाई । परिवार के साथ खंडवा, खरगोन और बुरहानपुर के जागृत आदिवासी दलित संगठन, जय आदिवासी युवा शक्ति (जयस), आदिवासी एकता परिषद, भारत आदिवासी पार्टी एवं टंटीया मामा भील समाज सेवा मिशन के सदस्य ने ज्ञापन सौंप कर दोषी पुलिस कर्मियों पर हत्या का मामला दर्ज

कांडला पोर्ट पर बसने वाले मछुआरों के घरों को तोड़े जाने व उनके पुनर्वसन के संबंध में पत्र

- मुजाहिद नफीस*  सेवा में, माननीय सरवानन्द सोनेवाल जी मंत्री बन्दरगाह, जहाज़रानी भारत सरकार, नई दिल्ली... विषय- गुजरात कच्छ के कांडला पोर्ट पर बसने वाले मछुआरों के घरों को तोड़े जाने व उनके पुनर्वसन (Rehabilitation) के संबंध में, महोदय,

સિદ્ધપુર નગરપાલિકાની ગુનાહિત બેદરકારીથી મુસ્લિમ યુવાનની મૃત્યુની સઘન તપાસ થાય

- મુજાહિદ નફીસ*  પ્રતિ શ્રી, પોલિસ મહાનિદેશક શ્રી ગુજરાત રાજ્ય ગાંધીનગર, ગુજરાત વિષય- સિદ્ધપુર નગરપાલિકાની ગુનાહિત બેદરકારીથી મુસ્લિમ યુવાનની મૃત્યુની સઘન તપાસ થાય તે માટે SIT ની રચના બાબતે.

જીવનધ્યેય અનામત કે સમાનતા? સર્વોચ્ચ અદાલતનો અનામતનામાં પેટા-વર્ગીકરણનો ચુકાદો ઐતિહાસિક પરિપ્રેક્ષમાં

- માર્ટિન મૅકવાન*  તાજેતરમાં મા. ભારતીય સર્વોચ્ચ અદાલતે અનુસૂચિત જાતિ અને જનજાતિમાં અનામતના સંદર્ભમાં પેટા-વર્ગીકરણ ભારતીય બંધારણને આધારે માન્ય છે તેવો બહુમતિ ચુકાદો આપ્યો. આ ચુકાદાના આધારે ભારત બંધ સહીત જલદ પ્રતિક્રિયા જોવા મળી. ભાજપ, કોંગ્રેસ અને બીજા અન્ય પક્ષોએ તેઓ આ ચુકાદા સાથે સહમત નથી તેવી પ્રાથમિક પ્રતિક્રિયા આપી છે. સામાજિક પ્રચાર-પ્રસાર માધ્યમોમાં આ ચુકાદા અંગેને ચર્ચા જોતાં જણાય છે કે આ ચુકાદાનો  વિરોધ કે સમર્થન શા માટે કરવાં તેની દિશા અંગે એકસૂત્રતા નથી.

અનુસુચિત જાતિની ફરિયાદો ન નોંધનાર જવાબદાર અધિકારીઓ સામે કાર્યવાહી કરવા બાબત

- વાલજીભાઈ પટેલ*  પ્રતિ, મા. શ્રી ભૂપેન્દ્રભાઈ પટેલ, મુખ્યમંત્રીશ્રી, ગુજરાત રાજ્ય, સચિવાલય, ગાંધીનગર  પ્રતિ, મા. શ્રી હર્ષ સંઘવી, ગૃહરાજ્યમંત્રીશ્રી, ગુજરાત રાજ્ય, સચિવાલય, ગાંધીનગર.  વિષય- ટંકારા પોલીસ સ્ટેશન જીલ્લા મોરબીમાં અનુસુચિત જાતિની ફરિયાદો ન નોંધનાર જવાબદાર અધિકારીઓ સામે કાર્યવાહી કરવા બાબત.  સાદર નમસ્કાર.