- झारखंड जनाधिकार महासभा
लोकतंत्र बचाओ 2024 का प्रतिनिधिमंडल झारखंड के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के रवि कुमार से मिलकर राज्य में बिना धार्मिक व राजनैतिक हस्तक्षेप के निष्पक्ष व शांतिपूर्ण लोक सभा चुनाव करवाने के लिए मांग किया.
अभियान ने कहा है कि पिछले 10 सालों में राजनैतिक दलों, खास करके भाजपा, द्वारा चुनाव में वोटरों को धर्म के नाम पर प्रभावित करने का रिवाज लगातार बढ़ रहा है. राजनैतिक माहौल बनाने के लिए धार्मिक त्योहारों, नारों, झंडों और प्रतीकों का विशेष इस्तेमाल किया जा रहा है. उदहारण के लिए, 22 जनवरी 2024 के धार्मिक कार्यक्रम के लिए पूरे राज्य में सार्वजानिक स्थलों पर धर्म विशेष झंडे लगाये गए जिसमें से अधिकांश आज तक नहीं उतारे गए हैं. कई जगह ‘हिंदू राष्ट्र’ लिखे बैनर भी लगाये हुए हैं. भाजपा व आरएसएस से जुड़े संगठनों द्वारा इनका इस्तेमाल चुनावी प्रभाव बनाने के लिए किया जा रहा है.
17 अप्रैल को रामनवमी है जिसका इस्तेमाल चुनाव में धार्मिक ध्रुवीकरण के लिए किए जाने की आशंका है. पिछले कुछ सालों में रामनवमी के दौरान अल्पसंख्यकों को केन्द्रित कर भड़काऊ व अश्लील गानों का इस्तेमाल, अल्पसंख्यकों के धार्मिक स्थलों के सामने प्रदर्शन आदि भी बढ़ा है. यह संभव है कि इन सब का इस्तेमाल कर चुनाव के दौरान धार्मिक ध्रुवीकरण कर वोटरों को प्रभावित करने के लिए किया जाए. अभियान ने मांग किया है कि आयोग सुनिश्चित करे कि चुनाव में धार्मिक हस्तक्षेप पर पूर्ण रोक हो. नफरती व सांप्रदायिक भाषण पर suo motu कार्यवाई हो. साथ ही, चुनाव के दौरान कोई भी धार्मिक अनुष्ठान/त्योहार/कार्यक्रम में सार्वजानिक स्थलों, रोड, बिजली पोल, सरकारी दफ्तरों, थाना, पुलिस व अर्धसैनिक बल कैंप आदि में लगाये गए धार्मिक झंडों व प्रतीकों को अनुष्ठान/त्योहार/कार्यक्रम ख़तम होने के 48 घंटो के अन्दर हटाया जाए क्योंकि इससे भी वोटरों को प्रभावित करने के प्रयास किया जा सकता है. हालांकि मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने प्रभावित करने की संभावना को स्पष्ट रूप से नकारा नहीं लेकिन उन्होंने इस पर कुछ भी कार्यवाई करने से साफ़ मना कर दिया.
अभियान ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को यह भी कहा कि 2019 के चुनाव में कुछ स्थानों पर केंद्रीय सुरक्षा बलों के जवानों द्वारा वोटरों को भाजपा के पक्ष में वोट डालने के लिए प्रभावित करने के मामले उजागर हुए थे. इस बार आयोग केंद्रीय सुरक्षा बलों के निष्पक्षता पर विशेष निगरानी रखे. अभियान ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के समक्ष आदर्श आचार संहिता के हर उल्लंघन पर निष्पक्ष कार्यवाई की मांग की. पदाधिकारी ने आश्वासन दिया और CVIGIL एप में शिकायत दर्ज करने की बात कही.
अभियान ने अपने एक साल के ज़मीनी अनुभव के आधार पर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को यह भी कहा कि गाँव-गाँव में लोगों का EVM पर विश्वास कम होता जा रहा है व बैलट पेपर से चुनाव की मांग बढ़ती जा रही है. किसी भी जीवंत लोकतंत्र के लिए यह अनिवार्य है कि जनता को चुनाव की प्रक्रिया पर पूर्ण विश्वास हो. अभियान ने मांग किया कि ऐसी परिस्थिति में EVM सम्बंधित प्रक्रियाओं की पारदर्शिता व उनपर विशेष निगरानी सुनिश्चित किया जाए ताकि सभी लोगों के सामने हर एक प्रक्रिया न्यायसंगत तरीके से किया जाए.
साथ ही, अभियान ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी का ध्यान राज्य के लाखो प्रवासी मजदूरों पर केन्द्रित किया. राज्य के अधिकांश प्रवासी मज़दूर हर चुनाव में अपने मतदान के अधिकार से वंचित हो जाते हैं. अभियान ने मांग किया कि इस बार चुनाव आयोग प्रवासी मजदूरों को विशेष सहयोग करने पर विचार करे जैसे वे जहां काम करते हैं, उन कंपनियों से बात करके आयोग पर्याप्त छुट्टी सुनिश्चित करे, आने-जाने के लिए पर्याप्त सार्वजानिक परिवहन सुनिश्चित करे आदि.
लोकतंत्र बचाओ 2024 अभियान की ओर से मांग पत्र के हस्ताक्षरकर्ता अफ़जल अनीस, अलोका कुजूर, अंबिका यादव, भरत भूषण चौधरी, दिनेश मुर्मू, एलिना होरो, ज्योति कुजूर, कुमार चन्द्र मार्डी, किरण, लालमोहन सिंह खेरवार, मेरी निशा हंसदा, मंथन, प्रवीर पीटर, पकू टुडु, रमेश जेराई, रेशमी देवी, रोज़ खाखा, सिराज दत्ता व टॉम कावला हैं.
लोकतंत्र बचाओ 2024 का प्रतिनिधिमंडल झारखंड के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के रवि कुमार से मिलकर राज्य में बिना धार्मिक व राजनैतिक हस्तक्षेप के निष्पक्ष व शांतिपूर्ण लोक सभा चुनाव करवाने के लिए मांग किया.
अभियान ने कहा है कि पिछले 10 सालों में राजनैतिक दलों, खास करके भाजपा, द्वारा चुनाव में वोटरों को धर्म के नाम पर प्रभावित करने का रिवाज लगातार बढ़ रहा है. राजनैतिक माहौल बनाने के लिए धार्मिक त्योहारों, नारों, झंडों और प्रतीकों का विशेष इस्तेमाल किया जा रहा है. उदहारण के लिए, 22 जनवरी 2024 के धार्मिक कार्यक्रम के लिए पूरे राज्य में सार्वजानिक स्थलों पर धर्म विशेष झंडे लगाये गए जिसमें से अधिकांश आज तक नहीं उतारे गए हैं. कई जगह ‘हिंदू राष्ट्र’ लिखे बैनर भी लगाये हुए हैं. भाजपा व आरएसएस से जुड़े संगठनों द्वारा इनका इस्तेमाल चुनावी प्रभाव बनाने के लिए किया जा रहा है.
17 अप्रैल को रामनवमी है जिसका इस्तेमाल चुनाव में धार्मिक ध्रुवीकरण के लिए किए जाने की आशंका है. पिछले कुछ सालों में रामनवमी के दौरान अल्पसंख्यकों को केन्द्रित कर भड़काऊ व अश्लील गानों का इस्तेमाल, अल्पसंख्यकों के धार्मिक स्थलों के सामने प्रदर्शन आदि भी बढ़ा है. यह संभव है कि इन सब का इस्तेमाल कर चुनाव के दौरान धार्मिक ध्रुवीकरण कर वोटरों को प्रभावित करने के लिए किया जाए. अभियान ने मांग किया है कि आयोग सुनिश्चित करे कि चुनाव में धार्मिक हस्तक्षेप पर पूर्ण रोक हो. नफरती व सांप्रदायिक भाषण पर suo motu कार्यवाई हो. साथ ही, चुनाव के दौरान कोई भी धार्मिक अनुष्ठान/त्योहार/कार्यक्रम में सार्वजानिक स्थलों, रोड, बिजली पोल, सरकारी दफ्तरों, थाना, पुलिस व अर्धसैनिक बल कैंप आदि में लगाये गए धार्मिक झंडों व प्रतीकों को अनुष्ठान/त्योहार/कार्यक्रम ख़तम होने के 48 घंटो के अन्दर हटाया जाए क्योंकि इससे भी वोटरों को प्रभावित करने के प्रयास किया जा सकता है. हालांकि मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने प्रभावित करने की संभावना को स्पष्ट रूप से नकारा नहीं लेकिन उन्होंने इस पर कुछ भी कार्यवाई करने से साफ़ मना कर दिया.
अभियान ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को यह भी कहा कि 2019 के चुनाव में कुछ स्थानों पर केंद्रीय सुरक्षा बलों के जवानों द्वारा वोटरों को भाजपा के पक्ष में वोट डालने के लिए प्रभावित करने के मामले उजागर हुए थे. इस बार आयोग केंद्रीय सुरक्षा बलों के निष्पक्षता पर विशेष निगरानी रखे. अभियान ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के समक्ष आदर्श आचार संहिता के हर उल्लंघन पर निष्पक्ष कार्यवाई की मांग की. पदाधिकारी ने आश्वासन दिया और CVIGIL एप में शिकायत दर्ज करने की बात कही.
अभियान ने अपने एक साल के ज़मीनी अनुभव के आधार पर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को यह भी कहा कि गाँव-गाँव में लोगों का EVM पर विश्वास कम होता जा रहा है व बैलट पेपर से चुनाव की मांग बढ़ती जा रही है. किसी भी जीवंत लोकतंत्र के लिए यह अनिवार्य है कि जनता को चुनाव की प्रक्रिया पर पूर्ण विश्वास हो. अभियान ने मांग किया कि ऐसी परिस्थिति में EVM सम्बंधित प्रक्रियाओं की पारदर्शिता व उनपर विशेष निगरानी सुनिश्चित किया जाए ताकि सभी लोगों के सामने हर एक प्रक्रिया न्यायसंगत तरीके से किया जाए.
साथ ही, अभियान ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी का ध्यान राज्य के लाखो प्रवासी मजदूरों पर केन्द्रित किया. राज्य के अधिकांश प्रवासी मज़दूर हर चुनाव में अपने मतदान के अधिकार से वंचित हो जाते हैं. अभियान ने मांग किया कि इस बार चुनाव आयोग प्रवासी मजदूरों को विशेष सहयोग करने पर विचार करे जैसे वे जहां काम करते हैं, उन कंपनियों से बात करके आयोग पर्याप्त छुट्टी सुनिश्चित करे, आने-जाने के लिए पर्याप्त सार्वजानिक परिवहन सुनिश्चित करे आदि.
लोकतंत्र बचाओ 2024 अभियान की ओर से मांग पत्र के हस्ताक्षरकर्ता अफ़जल अनीस, अलोका कुजूर, अंबिका यादव, भरत भूषण चौधरी, दिनेश मुर्मू, एलिना होरो, ज्योति कुजूर, कुमार चन्द्र मार्डी, किरण, लालमोहन सिंह खेरवार, मेरी निशा हंसदा, मंथन, प्रवीर पीटर, पकू टुडु, रमेश जेराई, रेशमी देवी, रोज़ खाखा, सिराज दत्ता व टॉम कावला हैं.
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