- हरसिंग जमरे, नासरी बाई*
विकास का खोखला दावा करने वाली आदिवासी विरोधी मध्य प्रदेश सरकार के खिलाफ जागृत आदिवासी दलित संगठन के नेतृत्व में बड़वानी के आदिवासियों ने जिला पंचायत घेरा – अधिकारियों को किसान-मजदूरों और छात्रों के मुद्दों के बारे में पहले से ही सूचित करने के बावजूद, 4 महीनों से रुकी रोजगार का जवाब देने के बजाए, जनता का सवाल से बचने अधिकारी पहुंचे ही नहीं! इसलिए आदिवासियों ने चक्का जाम कर तहसीलदार को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा, और यह घोषणा की आदिवासियों की सरकार है ही नहीं! आंदोलन में जागृत आदिवासी दलित संगठन के बुरहानपुर और खरगोन के कार्यकर्ता भी एकजुटता में शामिल हुए। किसान-मजदूर-छात्रों के आंदोलन में बड़वानी विधायक, श्री राजन मंडलोई और सामाजिक कार्यकर्ता पोरलाल खर्ते भी समर्थन में आए।
4 महीनों से मनरेगा में भुगतान नहीं, बड़वानी में 10 करोड़ से ज़्यादा और मध्य प्रदेश में 1100 करोड़ का भुगतान बाकी है । केवल पाटी ब्लॉक में ही 4 करोड़ 41 लाख की राशि बकाया है - लेकिन भोपाल सरकार और दिल्ली सरकार के पास जनता के लिए पैसे नहीं! यह कैसी सरकार है जो मजदूरी नहीं दे सकती लेकिन विकसित भारत के नाम पर यात्रा निकाल रही है ?! किसका विकास हो रहा है? कहाँ है हमारा विकास? नरेगा में मजदूरी न मिलने के कारण गांव के गांव खाली हो रहें हैं। विधायक ने यह भी खुलासा किया कि पलायन के बारे में सरकार ने विधान सभा में उठाए सवालों पर भी झूठी जानकारी दी ! उदाहरण में, पलायन के सरकारी आकड़ों के अनुसार आवली गाँव में केवल 15 लोगों ने पलायन किया है - लेकिन विधायक ने बताया कि वे खुद आंवली गाँव में जाकर यही पाए कि कम से कम 700 लोग बाहर पलायन कर चुके हैं! आंदोलन में पलायन कर रहे मज़दूरों का पंजीयन और उन्हें ले जाने वाले ठेकेदारों का पंजीयन करने की भी उठाई गई।
बड़वानी छात्र युवा मंच के जागृत आदिवासी दलित संगठन, आदिवासी छात्र संगठन एवं एनएसयूआई ने मिलकर कॉलेज छात्रों की सत्र 2023-24 की स्कॉलरशिप और आवास सहायता राशि की तुरंत भुगतान, और सत्र 2022-23 में बकाया स्कॉलरशिप के तुरंत भुगतान की मांग उठाई। पालकों ने कहा, "हमारे बच्चों को मजदूरी कर, दूकानों में साफ सफाई कर, अपनी शिक्षा का खर्चा निकालना पड़ रहा है! यह कैसी सरकार है?!" दो सालों से 9वी-12वी की छात्रवृत्ति लंबित है, और राज्य सरकार की ओर से कक्षा पहली से आठवीं से मिलने वाली स्कॉलरशिप का भुगतान राज्य सरकार ने रोक रखा है । 4 साल से स्टेशनरी वितरण बंद कर रखी है, स्कूली छात्रों के स्कॉलरशिप के भुगतान के मामलों में आदिवासी बाहुल्य बड़वानी पूरे मध्य प्रदेश में सबसे पिछड़े जिलों में से है! क्या सरकार चाहती है कि हमारे बच्चे मजदूरी ही करे? स्कॉलरशिप के पैसे नहीं, लेकिन हजारों रुपए की प्रतियोगिता परीक्षा की फीस होती है, परिक्षा भी भोपाल, ग्वालियर, सागर, जबलपुर जैसे शहर में होती है जहां और भी खर्चा होता है! इसलिए पीजी कॉलेज में रूसा हाल खोलने की भी मांग उठाई गई।
आंदोलन में नायक समाज के आदिवासियों ने कहा - "हम यहां सरकार आने के पहले से यहां के निवासी है - हम आज़ादी के लिए शहीद होने वाले भीमा नायक, खाज्या नायक के वंशज है! लेकिन आज सरकार हमारे जमीन के पट्टे के लिए हमसे ही 75 साल का सबूत मांगती है! क्या मुख्यमंत्री, प्रधान मंत्री के पास अपना 75 साल पुराना सबूत है?" आंदोलन में नायक समाज को आदिवासी सूची में जोड़ने और वन अधिकार के पट्टे देने की मांग भी उठाई गई।
इस साल मौसम के चलते दोनों समय की फसल बर्बाद हो गई है - फसलों सही दाम नही मिलने के कारण देशभर के किसान कर्ज में डूबे हुए है प्रधानमंत्री ने 2014 में फसलों की लागत का डेढ़ गुना दाम की कानूनी गारंटी देने का वादा किया था, जो आज झूठा साबित हो रहा है। फ़सलों की कुल लागत पर डेढ़ गुना भाव की कानूनी गारंटी की मांग उठाई गई।
मांगों पर ठोस जवाब न मिलने के कारण आदिवासियों किसान मजदूरों और छात्रों ने आगे भी आंदोलन करने की घोषणा की।
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*जागृत आदिवासी दलित संगठन
विकास का खोखला दावा करने वाली आदिवासी विरोधी मध्य प्रदेश सरकार के खिलाफ जागृत आदिवासी दलित संगठन के नेतृत्व में बड़वानी के आदिवासियों ने जिला पंचायत घेरा – अधिकारियों को किसान-मजदूरों और छात्रों के मुद्दों के बारे में पहले से ही सूचित करने के बावजूद, 4 महीनों से रुकी रोजगार का जवाब देने के बजाए, जनता का सवाल से बचने अधिकारी पहुंचे ही नहीं! इसलिए आदिवासियों ने चक्का जाम कर तहसीलदार को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा, और यह घोषणा की आदिवासियों की सरकार है ही नहीं! आंदोलन में जागृत आदिवासी दलित संगठन के बुरहानपुर और खरगोन के कार्यकर्ता भी एकजुटता में शामिल हुए। किसान-मजदूर-छात्रों के आंदोलन में बड़वानी विधायक, श्री राजन मंडलोई और सामाजिक कार्यकर्ता पोरलाल खर्ते भी समर्थन में आए।
4 महीनों से मनरेगा में भुगतान नहीं, बड़वानी में 10 करोड़ से ज़्यादा और मध्य प्रदेश में 1100 करोड़ का भुगतान बाकी है । केवल पाटी ब्लॉक में ही 4 करोड़ 41 लाख की राशि बकाया है - लेकिन भोपाल सरकार और दिल्ली सरकार के पास जनता के लिए पैसे नहीं! यह कैसी सरकार है जो मजदूरी नहीं दे सकती लेकिन विकसित भारत के नाम पर यात्रा निकाल रही है ?! किसका विकास हो रहा है? कहाँ है हमारा विकास? नरेगा में मजदूरी न मिलने के कारण गांव के गांव खाली हो रहें हैं। विधायक ने यह भी खुलासा किया कि पलायन के बारे में सरकार ने विधान सभा में उठाए सवालों पर भी झूठी जानकारी दी ! उदाहरण में, पलायन के सरकारी आकड़ों के अनुसार आवली गाँव में केवल 15 लोगों ने पलायन किया है - लेकिन विधायक ने बताया कि वे खुद आंवली गाँव में जाकर यही पाए कि कम से कम 700 लोग बाहर पलायन कर चुके हैं! आंदोलन में पलायन कर रहे मज़दूरों का पंजीयन और उन्हें ले जाने वाले ठेकेदारों का पंजीयन करने की भी उठाई गई।
बड़वानी छात्र युवा मंच के जागृत आदिवासी दलित संगठन, आदिवासी छात्र संगठन एवं एनएसयूआई ने मिलकर कॉलेज छात्रों की सत्र 2023-24 की स्कॉलरशिप और आवास सहायता राशि की तुरंत भुगतान, और सत्र 2022-23 में बकाया स्कॉलरशिप के तुरंत भुगतान की मांग उठाई। पालकों ने कहा, "हमारे बच्चों को मजदूरी कर, दूकानों में साफ सफाई कर, अपनी शिक्षा का खर्चा निकालना पड़ रहा है! यह कैसी सरकार है?!" दो सालों से 9वी-12वी की छात्रवृत्ति लंबित है, और राज्य सरकार की ओर से कक्षा पहली से आठवीं से मिलने वाली स्कॉलरशिप का भुगतान राज्य सरकार ने रोक रखा है । 4 साल से स्टेशनरी वितरण बंद कर रखी है, स्कूली छात्रों के स्कॉलरशिप के भुगतान के मामलों में आदिवासी बाहुल्य बड़वानी पूरे मध्य प्रदेश में सबसे पिछड़े जिलों में से है! क्या सरकार चाहती है कि हमारे बच्चे मजदूरी ही करे? स्कॉलरशिप के पैसे नहीं, लेकिन हजारों रुपए की प्रतियोगिता परीक्षा की फीस होती है, परिक्षा भी भोपाल, ग्वालियर, सागर, जबलपुर जैसे शहर में होती है जहां और भी खर्चा होता है! इसलिए पीजी कॉलेज में रूसा हाल खोलने की भी मांग उठाई गई।
आंदोलन में नायक समाज के आदिवासियों ने कहा - "हम यहां सरकार आने के पहले से यहां के निवासी है - हम आज़ादी के लिए शहीद होने वाले भीमा नायक, खाज्या नायक के वंशज है! लेकिन आज सरकार हमारे जमीन के पट्टे के लिए हमसे ही 75 साल का सबूत मांगती है! क्या मुख्यमंत्री, प्रधान मंत्री के पास अपना 75 साल पुराना सबूत है?" आंदोलन में नायक समाज को आदिवासी सूची में जोड़ने और वन अधिकार के पट्टे देने की मांग भी उठाई गई।
इस साल मौसम के चलते दोनों समय की फसल बर्बाद हो गई है - फसलों सही दाम नही मिलने के कारण देशभर के किसान कर्ज में डूबे हुए है प्रधानमंत्री ने 2014 में फसलों की लागत का डेढ़ गुना दाम की कानूनी गारंटी देने का वादा किया था, जो आज झूठा साबित हो रहा है। फ़सलों की कुल लागत पर डेढ़ गुना भाव की कानूनी गारंटी की मांग उठाई गई।
मांगों पर ठोस जवाब न मिलने के कारण आदिवासियों किसान मजदूरों और छात्रों ने आगे भी आंदोलन करने की घोषणा की।
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*जागृत आदिवासी दलित संगठन
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