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स्वच्छ भारत अभियान के 10 वर्ष: उत्तर प्रदेश में बेहतर स्वच्छता के लिए क्राई ने चलाया अभियान

- लेनिन रघुवंशी   चाइल्ड राइट्स एंड यू – क्राई और जनमित्र न्यास स्वच्छता ही सेवा अभियान के उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले भर में स्वच्छता और जागरूकता गतिविधियों की एक श्रृंखला सफलतापूर्वक आयोजित की गई। मध्य सितंबर से अक्टूबर की शुरुआत तक चलने वाली इस पहल का उद्देश्य विभिन्न समुदायों में बेहतर स्वच्छता और स्वच्छता प्रथाओं को बढ़ावा देना था। अभियान ने विशेष रूप से बच्चों के बीच जल, सफाई एवं स्वच्छता यानि वॉश जागरूकता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया, जो एक स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण को बढ़ावा देता है।
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જો આને જ્યોતિષ કહેવાય તો હું પણ જ્યોતિષી જ છું! અરે, કોઈ પણ વ્યક્તિ જ્યોતિષી બની શકે છે!

- રમેશ સવાણી*  લેખિકા અને એડવોકેટ પ્રતિભા ઠક્કર કહે છે: ‘રાશિભવિષ્ય તો મને કાયમ હાસ્યની કોલમ હોય એવું લાગે !’ અખબારો રાશિભવિષ્ય લોકહિત માટે નહીં પણ પોતાના અખબારનો ફેલાવો વધારવા છાપતા હોય છે. રામ-રાવણ/ કૃષ્ણ-કંસની રાશિ સરખી હતી પણ તેમની વચ્ચે કેટલો ફરક હતો?  

आज़ादी के बाद घुमंतू जातियों का बेड़ा गर्क कर दिया तथाकथित सभ्य सनातनी समाज ने

- डॉ बी के लोधी *  परंपरागत घुमंतू जातियाँ हिदू धर्म और संस्कृति की रक्षक रही हैं. विलियम बूथ टकर, एक ब्रिटिश ICS अधिकारी ने विमुक्त और घुमंतू जातियों के विकास और कल्याण के बहाने, साउथ अफ़्रीका की तर्ज़ पर साल्वेशन आर्मी का गठन किया था । असल उद्देश्य था इन समुदायों को ईसाईयत में परिवर्तित करना ! तमाम प्रलोभनों के बाद भी विमुक्त और घुमंतू जातियों ने ईसाई धर्म नहीं अपनाया । 

મોદીનાં નવા સંકલ્પો... મણિપુર સળતું રહે તે? મહિલા ખેલાડીઓનું યૌન શોષણ કરનારને છાવરે તે?

- રમેશ સવાણી  નફરત કોણ ફેલાવે છે? વિપક્ષ કે ખુદ વડાપ્રધાન? વડાપ્રધાન નરેન્દ્ર મોદી 15/16/17 સપ્ટેમ્બર 2024 દરમિયાન ગુજરાતના પ્રવાસ છે. ત્રણ દિવસમાં મહાત્મા મંદિર ખાતે ગ્લોબલ રિ-ઇન્વેસ્ટ રિન્યુએબલ એનર્જી સમિટ/  અમદાવાદ- ગાંધીનગર મેટ્રો સેવાને લીલી ઝંડી/ સેક્ટર 1થી ગિફ્ટ સિટી સુધી મેટ્રોમાં મુસાફરી/ અમદાવાદના GMDC ગ્રાઉન્ડ ખાતે ભાજપ કાર્યકર સંમેલન અને 8 હજાર કરોડના વિવિધ વિકાસ કામોનું લોકાર્પણ વગેરે કાર્યક્રમમાં હાજર રહ્યા. વડાપ્રધાનનો જન્મદિવસ 17 સપ્ટેમ્બરના રોજ હોવાથી નર્મદા ડેમ પણ છલકાઈ જાય છે !

अगले पांच सालों में बने झारखंड आन्दोलन के सपनों का अबुआ राज: लोकतंत्र बचाओ अभियान ने जारी किया घोषणा पत्र

- झारखंड जनाधिकार महासभा   लोकतंत्र बचाओ अभियान (अबुआ झारखंड, अबुआ राज) ने प्रेस क्लब, रांची में प्रेस वार्ता कर विधान सभा चुनाव के लिए जन घोषणा पत्र जारी किया. अभियान ने सांप्रदायिक सौहार्द्य और संवैधानिक मूल्यों में विश्वास करने वाले राजनैतिक दलों से मांग किया कि वे अपने घोषणा पत्र में अभियान द्वारा उठाये गए मांगों को जोड़ें. यह भी मांग किया गया कि वे मज़बूत ज़मीनी गठबंधन सुनिश्चित करें एवं मिलकर एक साझा न्यूनतम कार्यक्रम जारी करें. संक्षिप्त व विस्तृत मांग पत्र संलग्न है. प्रेस वार्ता के बाद अभियान प्रतिनिधिमंडल झामुमो व कांग्रेस के नेतृत्व से मिलकर मांग पत्र सौंपा.

ગુજરાતમાં ગુલામીનો નવો પ્રકાર: કરાર આધારિત કર્મચારીઓનું શારીરિક, માનસિક, જાતીય શોષણ

- તૃપ્તિ શેઠ  થોડા દિવસો પહેલાં ખંડેરાવ  માર્કેટ, વડોદરા  પર જે કર્મચારીઓ 5 વર્ષથી વધારે કરાર આધારિત શરતો પર કામ કરી રહયાં હતાં તેમનો   ખૂબ મોટા પાયે દેખાવ કર્યો. લગભગ 5000 કર્મચારીઓ હશે . મોટાભાગના કર્મચારીઓ  માસિક  10000-15000 પગાર પર પોતાની ફરજ બજાવી રહયાં છે. સ્વાસ્થ્ય વિભાગના કરાર આધારિત કર્મચારીઓની ફરિયાદ હતી કે કોરોનામાં કોઈ કાયમી કર્મચારી કામ કરવાં તૈયાર ન હતાં એવા પ્રતિકૂળ સંજોગોમાં , જિંદગીને હોડમાં મૂકી કામ કર્યું . પરંતુ ,કોઈ જ લાભ મળ્યો નથી. ABP news પ્રમાણે વર્ષ 2023ના ડેટા પ્રમાણે 61500 કર્મચારીઓ ગુજરાતમાં કરાર આધારિત નોકરી કરે છે. 

वर्षा की तीव्रता, आवृत्ति और बांध के कारण व्यापक बाढ़ आपदा के प्रति भारत अतिसंवेदनशील है

- राजकुमार सिन्हा*  औसत वैश्विक तापमान वृद्धि के कारण लंबे समय तक बारिश न होने के और अचानक अत्यधिक बारिश की घटना के कारण बाढ़ में बढोतरी हुआ है। आपदा आने से ठीक पहले वायनाड केरल में अभूतपूर्व बारिश हुई थी। जिले की सलाना औसत का 6 प्रतिशत बारिश महज़ एक दिन में बरस गई। विगत कुछ वर्षों से जलवायु परिवर्तन वर्षा की तीव्रता और आवृत्ति को प्रभावित कर रहा है। एकाएक कम समय में भारी बारिश के कारण बाढ़ वृद्धि के जोखिम बढ़ जाते हैं। 

मोदी के सत्ता में आने के बाद दंगों के पैटर्न में बदलाव भारतीय समाज व राजनीति के लिए खतरनाक संकेत है

- मनोज अभिज्ञान   नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद से भारतीय राजनीति और समाज में कई बदलाव देखने को मिले हैं. इन बदलावों का प्रभाव केवल राजनीति तक सीमित नहीं रहा, बल्कि समाजिक ढांचे और दंगों के स्वरूप पर भी पड़ा है. जहां एक ओर बड़े पैमाने पर होने वाले दंगे कम हुए हैं, वहीं दूसरी ओर छोटे-छोटे सांप्रदायिक दंगों, मॉब लिंचिंग और राज्य द्वारा समर्थित हिंसा में वृद्धि देखी गई है. सरकार के बुलडोजर द्वारा मकान ध्वस्त करने की घटनाओं ने यह सवाल उठाया है कि जब सत्ता स्वयं ही इस तरह की कार्रवाइयों में संलिप्त हो जाती है, तो बड़े दंगों की क्या आवश्यकता रह जाती है?

राहुल गाँधी की अमरीका में टिप्पणियां कहीं से भी विभाजनकारी नहीं हैं, भारतीय संविधान के मूल्यों का प्रतिनिधित्व करती हैं

- राम पुनियानी*  अमरीका की अपनी हालिया यात्रा के दौरान राहुल गांधी (आरजी) ने लोगों के साथ कई बार बातचीत की. ऐसी ही एक बैठक के दौरान उन्होंने दर्शकों के बीच बैठे एक सिक्ख से उसका नाम पूछा. वे भारतीय राजनीति के दो ध्रुवों की चर्चा कर रहे थे और भारत में संकीर्ण कट्टरपंथी राजनीति के ज्यादा प्रबल और आक्रामक होने की ओर बात कह रहे थे. उन्होंने उन सज्जन की ओर मुखातिब होते हुए कहा कि भारत में “संघर्ष इस मुद्दे पर है कि उन्हें सिक्ख होने के नाते, पगड़ी पहनने दी जाएगी या नहीं, या कड़ा पहनने की इजाजत होगी या नहीं. या वे एक सिक्ख के रूप में गुरूद्वारे जा पाएंगे या नहीं. लड़ाई इसी बात की है. और यह मुद्दा सिर्फ उन तक सीमित नहीं है, बल्कि सभी धर्मों के लिए प्रासंगिक है.”